Arvind Kejriwal Resignation: केजरीवाल के इस्तीफे की 5 बड़ी वजह, पर्दे के पीछे की कहानी
News online SM
Sachin Meena
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह अगले दो दिन में मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे देंगे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ किया है कि विधायक दल की बैठक में विधायक अपने नेता का चयन करेंगे। अरविद केजरीवाल ने अपने इस ऐलान के साथ दिल्ली की राजनीति में सरगर्मी को बढ़ा दिया है।
बता दें कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल प्रदेश सरकार के कार्यकाल को पूरा करना चाहते हैं। वह नहीं चाहते हैं कि समय से पहले विधानसभा भंग हो और चुनाव कराया जाए।
गली-गली जाऊंगा
आज मैं आप की अदालत, जनता की अदालत में आया हूं। मैं पूछता हूं कि क्या आप अरविंद केजरीवाल को ईमानदार मानते हैं या गुनाहगार। मैं दो दिनों के बाद सीएम की कुर्सी से इस्तीफा देने जा रहा हूं।
मैं तबतक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा जबतक जनता अपना फैसला ना सुना दे। मैं जनता के बीच जाऊंगा, गली-गली जाऊंगा, घर-घर जाउंगा, जबतक जनता अपना फैसला ना सुना दे कि अरविंद केजरीवाल ईमानदार है, मैं कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।
नैतिकता का संदेश देने कोशिश
साथ ही अरविंद केजरीवाल ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उन्होंने जेल में रहते हुए इस्तीफा देने का ऐलान नहीं किया। वह जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया है।
वह इस इस्तीफे के जरिए यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने नैतिक तौर पर जेल से बाहर आने के बाद ही इस्तीफा दिया।
सहानुभूति हासिल करने की कोशिश
इस इस्तीफे के जरिए अऱविंद केजरीवाल लोगों की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। वह लोगों के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि केंद्र सरकार उनकी सरकार को काम नहीं करने देती है। पार्टी के शीर्ष नेताओं, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह को जेल भेजा गया, लेकिन सभी को जमानत मिल गई।
भाजपा का दांव फेल!
भाजपा विधायकों ने एलजी को पत्र लिखा था कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। भाजपा विधायकों का कहना था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बतौर मुख्यमंत्री अहम जिम्मेदारियां नहीं निभा सकते हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कई शर्तों के आधार पर जमानत दी है।
ऐसे में अरविंद केजरीवाल को अंदेशा था कि शायद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग सकता है, लिहाजा माना जा रहा है कि केजरीवाल ने भाजपा की इस मंशा को फेल करने का काम किया है।
चुनाव की तैयारी
दिल्ली में कुछ महीनों के बाद ही विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल यह जानते हैं कि उन्हें एक बार फिर से लोगों के बीच जाना है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लोगों की पल्स को बेहतर समझते हैं।
यही वजह है कि वह खुद अब जनता के बीच जाना चाहते हैं और एक बार फिर से जनता के रुख को अपनी ओर करना चाहते हैं। केजरीवाल ने स्पष्ट किया है कि वह खुद और मनीष सिसोदिया के साथ लोगों के बीच जाएंगे। केजरीवाल पूरी तरह से चुनाव अभियान में अपनी ताकत झोंकने की तैयारी कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का दबाव
अरविंद केजरीवाल को कोर्ट ने सशर्त जमानत दी, इसमे केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय जाने, अहम दस्तावेजों पर साइन करने पर रोक लगाई गई है।
ऐसे में दिल्ली सरकार के कामकाज में आने वाली बाधा को भी अरविंद केजरीवाल दूर करना चाहते थे। वह नहीं चाहते थे कि भाजपा इस बात को मुद्दा बनाए कि अरविंद केजरीवाल सिर्फ कुर्सी के लिए पद पर बने हैं।