भारत का सबसे बड़ा ठग, जिसने कई बार बेच दिया था ताजमहल, लालकिला और संसद, ऐसे करता था ठगी

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Sachin Meena

कई ऐसे बड़े ठग हुए हैं, जिनके कारनामें सुनकर लोग दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं। भारत में भी ऐसे कई ठग हुए हैं। भारत में एक ठग ऐसा भी था, जिसके चर्चें विदेशों ते में थे।

इस ठग का नाम मिथिलेश कुमार श्रीवासतव था, जिसे नटवरलाल के नाम से जाना जाता है। इस ठग ने 3 बार ताजमहल, 2 बार लाल किला और 1 बार राष्ट्रपति भवन बेचा था। नटवरलाल एक ऐसा शातिर ठग था जिसने वकालत की पढ़ाई करने के बाद ठगी को अपना पेशा बनाया। आज हम आपको भारत के इस सबसे बड़े ठग की कहानी बताने जा रहे हैं।

मिथलेश का जन्म बिहार के सिवान के बंगरा नामक गांव में हुआ था। मिथलेश की पढ़ाई में ज्यादा रूचि तो नहीं थी लेकिन खेल में मिथलेश फुटबाल और शतरंज ज्यादा पसंद किया करता था। यही कारण था कि मिथलेश उर्फ नटवरलाल मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया और उसके पिताजी ने जमकर धुनाई कर दी। एक दिन मिथलेश ने अपने पडोसी ही ठग लिया। पड़ोसी ने उसे बैंक में ड्राफ्ट जमा कराने भेजा था। मिथलेश ने पड़ोसी के फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक अकाउंट से रुपए निकाल लिए। इस पर पिता ने उसको पीटा तो वह घर से भागकर कोलकाता चला आया।

 

कोलकाता जाकर उसने कॉमर्स से ग्रेजुएशन की। बाद में सेठ केशवराम नाम के एक व्यक्ति ने मिथिलेश को अपने बेटे को पढ़ाने के लिए रख लिया। इस दौरान जब मिथिलेश ने सेठ से अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए पैसे उधार मांगे तो सेठ ने मिथिलेश को पैसे देने से इनकार कर दिया। सेठ के इनकार करने से मिथिलेश इतना चिढ़ गया कि उसने रुई की गांठ खरीदने के नाम पर सेठ से 4.5 लाख रुपए ठग लिए।

 

सत्तर से अस्सी के दशक में नटवरलाल ने कई लोगों को लूटा। उसने लूट की कई ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जिसने सबसे बड़ा ठग बना दिया। मिथलेश उर्फ नटवरलाल ने ताजमहल को तीन बार, लाल किला को दो बार और एक बार राष्ट्रपति भवन को बेच दिया था। हैरानी की बात तो यह है कि जब उसने संसद को बेचा था, तब सारे सांसद वहीं उपस्थित थे। इस शातिर ठग ने इमारतों को ही अपना निशाना नहीं बनाया देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर की नकल भी कर डाली दी थी। वह टाटा, बिड़ला समेत कई नामचीन उद्योगपतियों को भी अपने ठगी शिकार बना चूका था।

 

शातिर ठग नटवरलाल के खिलाफ 8 राज्यों में 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। ऐसा नहीं कि नटवरलाल कभी गिरफ्तार नहीं हुआ था। उसे 9 बार पकड़ा गया और हर बार वो फरार हो जाता था। अदालत ने नटवरलाल को 113 साल का सजा दी थी। आखरी बार जब नटवरलाल पुलिस के गिरफ्त में आया तब उसकी उम्र 84 साल थी। लेकिन साल 1996 में 24 जून के दिन बीमार होने उसने बहाना बनाया और फिर उसे इलाज के लिए एम्स ले जाया जाने लगा। इसी दौरान वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। उसके बाद वो कहां गया आज तक किसी को नहीं पता चला।

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