Indian Railways: सफर के दौरान रेलवे का कंबल आप भी करते हैं इस्तेमाल, RTI से चौंकाने वाली सच्चाई आई सामने

News online SM

Sachin Meena

अगर आप रेलवे (Indian Railways) की एसी कोच में सफर करते हैं तो आपको हर सफर में रेलवे की ओर से चादर, तौलिए और कंबल दिए जाते होंगे. इसके लिए रेलवे बाकायदा टिकट में ही चार्ज वसूल लेता है.

लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस इस चादरों, कंबलों और तौलिए को कितने दिनों में धोती है. दरअसल, रेलवे की इस सेवा को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं. ऐसे में एक आरटीआई से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.

 

दरअसल, एक आरटीआई के जवाब में रेल मंत्रालय ने कहा कि यात्रियों को प्रदान किए जाने वाले लिनन को प्रत्येक उपयोग के बाद धोया जाता है, लेकिन ऊनी कंबलों को “महीने में कम से कम एक बार, अधिमानतः महीने में दो बार धोया जाता है. इसके साथ ही इस संबंध में जब विभिन्न लंबी दूरी की ट्रेनों के हाउसकीपिंग कर्मचारियों से बात की गई , तो इनमें से अधिकांश ने कहा कि कंबल महीने में केवल एक बार धोए जाते हैं. इस दौरान इन लोगों ने बताया कि दाग या बदबू आने पर ही उन्हें धोया जाता है.

 

स्टाफ ने भी खोल गदी रेलवे की पोल

 

वहीं, रेलवे से जब पूछा गया कि क्या भारतीय रेलवे यात्रियों से कंबल, बेडशीट और तकिया कवर के लिए शुल्क लेता है. आरटीआई में इसके जवाब में रेलवे ने कहा कि यह सब ट्रेन किराया पैकेज का हिस्सा है. इसके अलावा, गरीब रथ और दुरंतो जैसी ट्रेनों में टिकट बुक करते समय बेडरोल का विकल्प चुनने के बाद प्रत्येक किट के लिए अतिरिक्त राशि का भुगतान करके बेडरोल (तकिया, चादर आदि) प्राप्त किया जा सकता है. रेल मंत्रालय के पर्यावरण और हाउसकीपिंग प्रबंधन (ईएनएचएम) के अनुभाग अधिकारी रिशु गुप्ता ने ये प्रतिक्रियाएं दी है.

 

हाउसकीपिंग स्टाफ ने बताई ये कहानी

 

दुरंतो समेत कई ट्रेनों के हाउसकीपिंग स्टाफ ने रेलवे की लॉन्ड्री का गंदा सच साझा किया. इन लोगों ने बताया कि “प्रत्येक यात्रा के बाद, हम कपड़े धुलवाने के लिए बेडशीट और तकिया कवर (लिनन) को बंडलों में रखते हैं. वहीं, कंबल के मामले में हम उन्हें अच्छी तरह से मोड़कर कोच में रख देते हैं. हम उन्हें धुलवाने के लिए तभी भेजते हैं, जब हमें कोई दुर्गंध आती है, या उस पर कुछ खाना, या उल्टी के निशान दिखते हैं. इसके अलावा पिछले 10 वर्षों से अधिक समय तक विभिन्न ट्रेनों में काम करने वाले एक और हाउसकीपिंग स्टाफ ने बताया कि कंबलों की सफाई की कोई निगरानी नहीं की जाती है. उन्होंने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कंबल महीने में दो बार धोए जाएंगे. ज्यादातर मामलों में हम कंबल तभी धोने के लिए देते हैं, जब हमें दुर्गंध, गीलापन, उल्टी आदि दिखाई देती है. कुछ मामलों में यदि यात्री शिकायत करता है, तो हम तुरंत एक साफ कंबल उन्हें प्रदान कर देते हैं.

 

ऊनी कंबलों को हटाने की उठी मांग

 

इस मामले के उजागर होने के बाद रेलवे के खिलाफ लोगों की नाराजगी सामने आ रही है. एनएचएम के एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि रेलवे को ऊनी कंबलों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये कंबल भारी हैं. लिहाजा, यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि वे ठीक से धोए गए हैं या नहीं. ऐसे में अब समय आ गया है कि रेलवे को इन कंबलों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *