सुप्रीम कोर्ट में आज मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हो सकी

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Sachin Meena

पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद हैं. मनीष सिसोदिया को पिछले साल 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. वे 16 महीने से सलाखों के पीछे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में आज उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. लेकिन आज भी जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. कोर्ट ने सुनावाई के लिए अगले सोमवार का दिन मुकर्रर कर दिया. लेकिन सिसोदिया के अधिवक्ता की विशेष याचिका पर कोर्ट कल मंगलवार को सुनवाई के लिए राजी हो गया.

 

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मनीष सिसोदिया के तरफ से जमानत दिए जाने की दलील रखीं. दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यह कहते हुए जमानत मांगी है कि वह 16 महीने से हिरासत में हैं और अक्टूबर से उनके खिलाफ मुकदमा आगे नहीं बढ़ा है. सिसोदिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 जुलाई को याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ और सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा.

 

मनीष सिसोदिया ने शराब नीति उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में अपनी जमानत याचिकाओं को फिर से शुरू करने की मांग करते हुए एक आवेदन भी दायर किया है.

 

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार, 5 अगस्त को दिल्ली शराब नीति और धन शोधन के मामलों में जमानत की मांग करने वाली आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों याचिकाओं पर जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की.

 

सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने 4 दिन पहले जो जवाब दाखिल किया और कह रहे हैं कि कथित शराब नीति घोटाले से हुई इनकम का पता लगाने और कई लोगों की भूमिका की जांच अभी जारी है. यह उनकी उस दलील के बिल्कुल उलट है जिसमें कहा गया था कि जांच पूरी हो चुकी है. फिर मनीष सिसोदिया को जेल में बंद रखने का क्या मतलब है?

 

सिंघवी ने कहा कि ईडी ने दस्तावेजों को छुपाया है और उन्हें गैर-भरोसेमंद दस्तावेजों की श्रेणी में डाल दिया है. छठे से आठवें अभियोजन शिकायतों की समीक्षा शुरू ही नहीं हो सकी है. सीबीआई भी गैर-भरोसेमंद दस्तावेज पेश करने में नाकाम रही है.

 

सिंघवी ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट का खतरा तो सीबीआई केस में भी मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट- पीएमएलए की धारा 45 में भी इसे ध्यान में रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि केवल इस आधार पर जमानत नहीं रोकी जा सकती कि आरोप गंभीर हैं. ढाई साल बाद भी कोई रिकवरी नहीं हुई है.

 

बता दें कि इससे पहले 29 जुलाई को, सीबीआई और ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने खंड पीठ को बताया था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मनीष सिसोदिया की याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया था, लेकिन यह रिकॉर्ड पर नहीं आया था. एसवी राजू ने सिसोदिया की याचिकाओं पर आपत्ति जताते कहा था कि यह दिल्ली हाईकोर्ट के उसी आदेश को चुनौती देने वाली दूसरी विशेष अनुमति याचिका है. उन्होंने कहा कि एक ही आदेश को दो बार चुनौती नहीं दी जा सकती.

 

मनीष सिसोदिया ने जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 21 मई के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने दो मामलों में उनकी जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

 

सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के 4 जून के आदेश का हवाला दिया, जिसमें सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था.

 

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा था कि कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में ईडी और सीबीआई द्वारा अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दायर करने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिकाएं पुनः दाखिल कर सकते हैं.

 

26 फरवरी 2023 को हुई थी गिरफ्तारी

शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया की कथित भूमिका को लेकर 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था. इसके बाद 9 मार्च, 2023 प्रवर्तन निदेशालय-ईडी ने सिसोदिया को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद 28 फरवरी, 2023 को सिसोदिया ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.

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