आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार ने गिराया संपत्ति कर : राजा इक़बाल सिंह
न्यूज ऑनलाइन एसएम
सचिन मीणा
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष व पूर्व महापौर राजा इक़बाल सिंह ने बताया कि आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के कारण दिल्ली नगर निगम के संपत्तिकर संग्रहण में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग 300 करोड़ रुपये की कमी आयी है। उन्होंने बताया कि दिल्ली नगर निगम को पिछले वित्तीय वर्ष में 2417 करोड़ रुपये संपत्ति कर के रूप में प्राप्त हुए थे।
वहीं इस वित्तीय वर्ष में दिल्ली नगर निगम को लगभग 2120 करोड़ रुपये संपत्ति कर के रूप में प्राप्त हुआ है यानी लगभग 300 करोड़ रुपये इस वित्तीय वर्ष में संपत्ति कर के रूप में कम प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि वहीं दूसरी ओर इस वर्ष करदाताओं की संख्या में भी लगभग एक लाख की कमी आयी है। उन्होंने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में करदाताओं की संख्या 13.29 लाख थी वहीं इस वित्तीय वर्ष में करदाताओं की संख्या घटकर लगभग 12.58 लाख हो गई है।
दिल्लीवासियों को संपत्तिकर के नोटिस भेज-भेजकर किया भयभीत
आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के कारण दिल्ली नगर निगम के संपत्तिकर व करदाताओं की संख्या में कमी आयी है क्योंकि लोगों का विश्वास अब आम आदमी पार्टी से उठने लगा है। उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी ने जब से सत्ता सँभाली है तब से ये लोग नागरिकों के लिए कोई आम माफ़ी योजना लेकर नहीं आए है। वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने नागरिकों को संपत्तिकर के नोटिस भेज-भेजकर भयभीत करने का कार्य किया है। उन्होंने बताया कि जहाँ पर 02 रुपया टैक्स देना था वहाँ पर आम आदमी पार्टी ने 2004 से 20 रुपये टैक्स के रूप में वसूले का कार्य किया है।
“आप” कर रही है निगम को बर्बाद
राजा इक़बाल सिंह ने बताया कि आम आदमी पार्टी की मेयर ने कहा था कि पहली तिमाही में करदाताओं की संख्या बढ़ी है जिससे संपत्ति कर में इज़ाफ़ा हुआ है। मगर पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष करदाताओं की संख्या में कमी आम आदमी पार्टी के दावों की पोल खोल रही है। उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी अपने भ्रष्टाचार के कारण दिल्ली नगर निगम को बर्बाद करने में लगी हुई है जिसका खामियाजा दिल्ली के नागरिक और निगम कर्मचारी भुगत रहे हैं। उन्होंने बताया कि संपत्तिकर से जो पैसा निगम के ख़ज़ाने में जाना चाहिए था वो पैसा आम आदमी पार्टी के नेताओं और हाउस टैक्स के इंस्पेक्टरों ने अपनी जेब में रख लिया था जिसके कारण निगम को 300 करोड़ रुपये के राजस्व का नुक़सान झेलना पड़ा है।