“तिहाड़ जेल में इसलिए बढ़ रहे कैदी” कोर्ट ने दिल्ली की शिक्षा मॉडल पर उठाए सवाल

News Online SM

Sachin Meena

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में पाठ्यपुस्तकों, नोटबुक, फर्नीचर जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी और कक्षाओं की कमी को लेकर AAP सरकार के शिक्षा विभाग को कड़ी फटकार लगाई।

सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार को उसकी लापरवाही के लिए फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि तिहाड़ जैसी जेलों में भीड़ बढ़ने के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि स्कूल ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता NGO ‘सोशल ज्यूरिस्ट, ए सिविल राइट्स ग्रुप’ का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अशोक अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर संज्ञान लिया, जिसमें अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान जिले के स्कूलों का दौरा करने के लिए कहा था। विचाराधीन स्कूल हैं GGSSS खजूरी खास, GGSSS पूर्वी गोकल पुर, SKV सी-1 यमुना विहार, SKV खजूरी खास, GGSS सोनिया विहार, नवनिर्मित एसकेवी श्रीराम कॉलोनी खजूरी खास, GGSSS भजनपुरा, GGSSS दयालपुर, GGSSS सभापुर और SKV खादर बदरपुर।

इसको लेकर हाई कोर्ट ने कहा कि ‘आप सचिव हैं. आपको ये सब पता होना चाहिए था. मुझे आपको क्यों कॉल करना है? आपको स्वयं जमीनी स्तर पर जाना चाहिए। वह आपका काम है। आपका काम छोटे बच्चों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। आप शिक्षा के प्रभारी हैं। आपसे यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि आप केवल समाचार पत्रों में घोषणाएँ प्रकाशित करें कि स्कूल बेकार हैं। एक कक्षा में 144 बच्चे हैं, यह बहुत दुखद स्थिति है।”

कोर्ट ने आगे कहा कि, ‘समस्या यह है कि किसी भी वरिष्ठ पदाधिकारी का बच्चा इन स्कूलों में नहीं पढ़ रहा है, इसलिए, आपको कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, कोई आश्चर्य नहीं कि दिल्ली की जेलें भरी हुई हैं। तिहाड़ की क्षमता 10,000 है, लेकिन इसमें 23,000 कैदी हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्कूल काम नहीं कर रहे हैं. क्या आप इसके सहसंबंध को समझते हैं?”

वकील अशोक अग्रवाल ने कोर्ट में कहा कि जिले का एक स्कूल GGSSS भजनपुरा एक टिन की इमारत में चलाया जाता था। यहां सुबह और शाम की पाली में क्रमश: करीब 1800 लड़कियां और 1800 लड़के पढ़ते हैं। इसके अलावा, SKV सी-1 ब्लॉक यमुना विहार में कक्षाओं की गंभीर कमी के कारण अक्सर दो खंडों को एक ही कक्षा में मिला दिया जाता है। यह एक डबल शिफ्ट स्कूल है, जहां सुबह की शिफ्ट में लगभग 5000 से 6000 छात्राएं और दोपहर की शिफ्ट में इतनी ही संख्या में लड़के पढ़ते हैं।

इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर सख्ती दिखात हुए कहा कि अधिकारियों की “योजना की कमी” के कारण छात्रों में स्कूल के प्रति “उदासीनता” है और अधिकारियों के लिए जवाबदेही तय की जानी चाहिए। इसने आगे सवाल उठाया कि गर्मी के दौरान बच्चों को टिन की इमारत में कैसे पढ़ना चाहिए। अदालत ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि स्कूल की कक्षाओं में टूटे हुए फर्नीचर की नियमित आधार पर मरम्मत और रखरखाव किया जाना चाहिए, क्योंकि यह “कल” नहीं टूटा था। अशोक अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, कक्षाओं की कमी के कारण, दो वर्गों के बच्चों को एक ही कक्षा में एक साथ बैठना पड़ता है, जहां एक अनुभाग को एक शिक्षक द्वारा एक विषय पढ़ाया जाता है और दूसरे अनुभाग को किसी अन्य शिक्षक द्वारा बिल्कुल अलग विषय पढ़ाया जाता है।

इसके बाद पीठ ने वरिष्ठ अधिकारी से पूछा, ‘क्या आपने अपने अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की? आपको अपने कनिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। वे आपको यह क्यों नहीं बता रहे कि जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है? हमें आपको अदालत में बुलाकर बताने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए, आपको पता होना चाहिए। अब आप रिपोर्ट में तथ्यों की पुष्टि कर रहे हैं।’ अदालत ने सचिव (शिक्षा) को एक सप्ताह के भीतर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को 23 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया।

ये देखने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि, ‘सचिव (शिक्षा) ने अदालत को आश्वासन दिया और वचन दिया कि वह समयबद्ध तरीके से स्थिति में व्यापक सुधार के लिए कदम उठाएंगे। वह इस अदालत को आश्वासन देते हैं कि धन की कोई कमी नहीं है। उनका कहना है कि सभी छात्रों को किताबें, फर्नीचर और लेखन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। सचिव द्वारा रिपोर्ट पर एक विस्तृत हलफनामा दायर किया जाए। सचिव उन अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करेंगे जो अपने कर्तव्यों का पालन करने में लापरवाही बरत रहे हैं

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