इसरो वैज्ञानिकों ने अपने शोध के आधार पर राम सेतु का नक्शा तैयार किया

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Sachin Meena

भारत के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है. इस बार इसरो वैज्ञानिकों ने अपने शोध के आधार पर राम सेतु का नक्शा तैयार किया है। ये अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है.

खास बात यह है कि वैज्ञानिकों का दावा है कि यह अब तक की पहली रिपोर्ट है जो राम सेतु के बारे में सबसे ज्यादा जानकारी देती है। इसमें राम सेतु से संबंधित सभी गहन जानकारी शामिल है।

 

राम सेतु के अनुसंधान के लिए ICESAT-2 का उपयोग

 

इसरो वैज्ञानिकों ने राम सेतु पर गहन शोध के लिए अमेरिकी उपग्रह ICE SAT-2 के डेटा का उपयोग किया है। इस सैटेलाइट के जरिए समुद्र में 40 किलोमीटर की गहराई तक जाकर पानी में घुसे फोटॉन कणों का इस्तेमाल कर राम सेतु का नक्शा तैयार किया गया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह नक्शा काफी रिसर्च और जानकारी जुटाने के बाद तैयार किया गया है।

 

इसका 99.98 प्रतिशत भाग समुद्र की गहराई में डूब गया

 

वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी के अंदर का नक्शा धनुषकोडी से तलाईमन्नार तक राम सेतु के निर्माण का प्रमाण देता है। इस पुल का 99.98 फीसदी हिस्सा उथले पानी में डूबा हुआ है. इसरो वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि समुद्र में डूबे राम सेतु की लंबाई का हाई रेजोल्यूशन मैप बनाने के लिए अमेरिकी सैटेलाइट से हाईटेक लेजर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.

 

इसरो वैज्ञानिकों के रिसॉर्ट ने राम सेतु की पुष्टि की है

 

ISRO के वैज्ञानिक गिरिबाबू दंडबाथुला की टीम ने 11 प्रमुख बिंदुओं की खोज की है जो मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी की आवाजाही की अनुमति देते हैं और राम सेतु को समुद्री लहरों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसरो वैज्ञानिकों का दावा है कि उनका शोध उस राम सेतु की पुष्टि करता है जो भगवान राम के नेतृत्व में भारत और श्रीलंका के बीच बनाया गया था।

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