महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को जमकर फटकार लगाई।
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Sachin Meena
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई हैवानियत के बाद ममता सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को जमकर फटकार लगाई।
सुप्रीम कोर्ट ने FIR से लेकर पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को दूसरे कॉलेज में नियुक्त किए जाने तक अपनी नाराजगी जताई है। इसके साथ ही CBI और बंगाल सरकार से जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है। कोर्ट ने ये भी पूछा कि क्या प्रिंसिपल ने हत्या को आत्महत्या बताया?
CJI डी.वाई.चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी.पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था को लेकर भी कई सख्त टिप्पणियां की। न्यायालय ने कहा कि कामकाजी परिस्थितियों ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा का खतरा बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कई गंभीर सवाल किए। इतना ही नहीं वारदात के बाद FIR में हुई देरी को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने सख्ती से पूछा कि पीड़ित की पहचान को कैसे उजागर होने दिया गया? कोर्ट ने पूछा-
पीड़ित परिवार को देर से जानकारी क्यों दी गई?
पीड़ित परिवार को बेटी की बॉडी क्यों नहीं दिखाई गई?
FIR दर्ज करने में देरी क्यों हुई?
शव सौंपने के 3 घंटे 45 मिनट बाद FIR क्यों हुई?
अस्पताल प्रबंधन आखिर क्या कर रहा था?
पूरे मामले में प्रिंसिपल इतने निष्क्रिय क्यों थे?
अस्पताल में उपद्रवी कैसे घुसे और तोड़फोड़ कैसे हुई?
पुलिस अस्पताल में उपद्रव रोक क्यों नहीं पाई?
पुलिस ने क्राइम सीन को प्रोटेक्ट क्यों नहीं किया?
प्रिंसिपल की नियुक्ति दूसरी जगह कैसे हुई?
FIR किसने और कब दर्ज कराई?
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सबसे पहले FIR किसने और कब दर्ज कराई? जिसका जवाब देते हुए पश्चिम बंगाल की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने बताया कि रात 11.45 मिनट पर FIR दर्ज की गई। इसके बाद नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर वारदात के इतने घंटों बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन क्या कर रहा था? क्यों FIR दर्ज होने में इतनी देरी की गई? ये हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी की वो FIR दर्ज कराता।
10 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स का गठन
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार पर सवाल उठाया और पूछा कि राज्य सरकार ने अबतक प्रिंसिपल संदीप घोष पर क्या कार्रवाई की है? जब प्रिंसिपल खुद इस मामले में संदिग्ध है तो कैसे उसको तुरंत दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया? इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए एक 10 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है, जो मामले की जांच करके तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में फाइनल रिपोर्ट सौपेगी।