Arvind Kejriwal देश छोड़कर भागने वाले.’, कोर्ट में हुई इन 5 बड़ी बातों ने मचाई हलचल, दांव पर दिल्ली के मुख्यमंत्री की किस्मत

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Sachin Meena

आज सुप्रीम कोर्ट साफ कर सकती है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को बेल मिलेगी या जेल में ही कटेगी अब रात और दिन। इसके लिए अदालत में दलीलों का दौर जारी है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि शराब नीति मामले में उन्हें उनके सह-आरोपी के बराबर नहीं माना जाना चाहिए। गुरुवार को जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले अपने जवाब में सीबीआई ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो का हिरासत में रहते हुए इलाज किया जा सकता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि सीएम केजरीवाल का पक्ष वकील अभिषेक मनु सिंघवी रख रहे हैं। जान लें कि अगर उन्हें बेल मिलती है तो हरियाणा चुनाव से पहले यह आम आदमी पार्टी के लिए किसी मोरल बूस्टर से कम नहीं। आपको बता दें कि सिंघवी अपने धारदार दलीलों के लिए जाने जाते हैं ऐसे में उन्होनें कई बड़े दलील दिए हैं जिससे कि CBI की टेंशन बढ़ा सकती है।

 

सिंघवी की पांच दमदार दलील

 

केजरीवाल का नाम एफआईआर में नहीं है, न्यूजवायर पीटीआई ने रिपोर्ट किया। शीर्ष अदालत ने न्यायिक हिरासत में रहते हुए केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की भी खिंचाई की।

2. “अरविंद केजरीवाल एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं, उनके भागने का खतरा नहीं है।”

 

3. उन्होंने यह भी दावा किया कि जनवरी में मगुंटा के बयान के अलावा जनवरी से केजरीवाल के खिलाफ मामले में कोई नया सबूत नहीं है।

 

4. उन्होंने आगे दावा किया कि सीबीआई ने इस साल 26 जून को केजरीवाल को गिरफ्तार किया, जबकि पिछले 2 सालों से कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। सिंघवी ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा केजरीवाल को हिरासत में लिए जाने को “बीमा गिरफ्तारी” का मामला बताया।

 

5. अभिषेक सिंघवी ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट को तीन बार जांच करने की जरूरत है – (ए) क्या उनके भागने का खतरा है, (बी) क्या वह सबूतों से छेड़छाड़ करेंगे और (सी) क्या वह गवाहों को प्रभावित करेंगे। सिंघवी के बचाव के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हिरासत से किसी को गिरफ्तार करने के लिए कोर्ट की अनुमति की जरूरत होती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जब आप हिरासत में होते हैं… अगर आप उन्हें फिर से गिरफ्तार करते हैं तो आपको कोर्ट की अनुमति की जरूरत होती है। आपराधिक प्रक्रिया संहिता में कुछ है।”

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