सुनीता केजरीवाल किस तरह बन सकती हैं दिल्ली की सीएम, क्या कहते हैं नियम?

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Sachin Meena

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रविवार को  दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सबको चौंका दिया। उनके इस फैसले से न सिर्फ लोग हैरान रह गए, बल्कि राजनीतिक पार्टियां भी सोचने को मजबूर हो गईं।

उन्होंने कहा कि अब वे तबतक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे, जबतक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती। साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि मनीष सिसोदिया भी मुख्ममंत्री नहीं बनेंगे। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा? सीएम पद की रेस में आतिशी, सौरभ भारद्वाज, सुनीता केजरीवाल हैं। आतिशी और सौरभ भारद्वाज तो विधानसभा के सदस्य हैं, लेकिन सुनीता केजरीवाल सदन की मेंबर नहीं हैं। आइए जानते हैं कि सुनीता केजरीवाल किस तरह दिल्ली की मुख्यमंत्री बन सकती हैं?

 

जानें क्या है नियम?

 

मुख्यमंत्री बनने के लिए यह जरूरी नहीं है कि नेता उस वक्त चुनाव जीता हुआ हो। ऐसा नेता भी मुख्यमंत्री बन सकता है, जो न कभी चुनाव लड़ा हो और न कभी जीता हो। नियम के अनुसार, सीएम पद की शपथ लेने के 6 महीने के अंदर सदन की सदस्यता लेनी जरूरी है। ऐसे में उसे किसी सीट से चुनाव लड़ना पड़ेगा और जीतना भी पड़ेगा, क्योंकि बिना सदस्यता के वह 6 महीने के ज्यादा सीएम पद भी नहीं रह सकता है।

 

शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप

 

छानबीन में पता चला कि हेडमास्टर बीते दो माह से स्कूल नहीं आ रहे हैं। पंचायत अधिकारी के उस समय होश उड़ गए जब हेडमास्टर की जगह उनका बेटा राकेश प्रताप सिंह स्कूल का पूरा कामकाज संभालता हुआ मिला। तुरंत इस मामले की शिकायत पुलिस व शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को दी गई। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग पूरे केस में स्कूल के अन्य शिक्षकों के बयान लेकर एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने अन्य स्कूलों में भी जांच शुरू कर दी है।

 

स्कूलों में शिक्षकों की संख्या की जाएगी पूरी

 

बता दें इससे पहले बीते अगस्त में खबर आई थी कि मध्यप्रदेश के कई जिलों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। उस समय इन खाली पड़े पदों को जल्द भरने के निर्देश हुए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में कुछ स्कूलों में 36059 शिक्षक सरप्लस हैं, जिन्हें उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां टीचरों की कमी है।

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