कांवड़ यात्रा में खानपान की दुकान, होटल, ढाबे, ठेले आदि दुकानों पर प्रोपराइटर या फिर काम करने वाले के नाम लिखने के निर्देश

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Sachin Meena

जिला प्रशासन द्वारा इस बार कांवड़ यात्रा पर एक नया आदेश जारी किया गया है, जिससे सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया हैं. इस बार कांवड़ यात्रा में खानपान की दुकान, होटल, ढाबे, ठेले आदि जहां से भी शिवभक्त खाद्य सामग्री खरीद सकते हो उन सभी को निर्देशित किया गया है कि वह अपनी-अपनी दुकानों पर प्रोपराइटर या फिर काम करने वाले के नाम को जरूर लिखें.

जिससे कि कांवड़ियों में किसी प्रकार का कोई कन्फ्यूजन ना हो. प्रशासन के इस आदेश का असर अब धरातल पर भी दिखाई देने लगा है.फलों का ठेला लगाने वाले अब अपने ठेलों पर अपने अपने नाम के पोस्टर भी लगाए हुए दिखाई दे रहे है.

 

पुलिसिया फरमान के बाद मुजफ्फरनगर में दुकान के नाम भी बदलने शुरू हो गए हैं. जनपद मुजफ्फरनगर के खतौली बाईपास पर मौजूद एक चाय की दुकान का नाम पहले चाय लवर पॉइंट हुआ करता था. मगर उसके प्रोपराइटर का नाम फहीम हैं. ऐसे में अब चाय लवर पॉइंट की जगह दुकान का नाम बदलकर वकील अहमद टी स्टॉल कर दिया गया है. इस बारे में जब फहीम नाम के इस दुकानदार से बात की तो उन्होंने बताया कि पुलिस उनके पास आई थी. पुलिस ने नाम बदलने को कहा तो उन्होंने नाम बदल लिया. दुकानदार फहीम का यह भी कहना है कि नाम इसलिए बदला है कि कांवड़ यात्रा के दौरान यह पता होना चाहिए कि दुकान हिंदू की है या मुसलमान की

 

अब मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने लगे दुकानदार

मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को दुकान पर अपने नेम प्लेट लगाने के फरमान के बाद तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं और नई-नई चीज सामने आ रही है. ऐसे में मुजफ्फरनगर के खतौली बाईपास पर स्थित एक साक्षी ढाबा नाम के ढाबे पर काम कर रहे चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है. मुस्लिम कर्मचारियों को ढाबे से क्यों हटाया गया, जब इस बारे में जानने के लिए हमने ढाबे के मालिक से बात की तो उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन के लोग आए थे. जिन्होंने मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने की बात कही. जिसके बाद उन्होंने उन चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया है, जिसमें से दो मुस्लिम ढाबे पर कारीगर थे एवं दो मुस्लिम कर्मचारी अन्य काम करते थे. ढाबे के मालिक का कहना है कि मुस्लिम कर्मचारियों को हटवाना ठीक नहीं है. मगर दुकानों पर प्रोपराइटर का नाम लिखा जाना सही है. क्योंकि कावड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त फिर अपनी मर्जी से जहां चाहें वहां खाएं.

पप्पू फल वाला और मोनू जूस कॉर्नर…

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी इस मामले लेकर X पर एक पोस्ट किया और लिखा ‘ जिनके नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? …उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे. ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं.” अखिलेश यादव के इस पोस्ट के बाद जब न्यूज़ 18 ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ताल की तो सच में ऐसे कई दुकानदार मिले जिनके नाम धार्मिक नजरिए से कॉमन है. पड़ताल के दौरान पप्पू फल वाले मिले जिनका असल नाम भी पप्पू है और वह मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते हैं. वही दूसरा मोनू जूस कॉर्नर के नाम से भी एक दुकान मिली, जिसके प्रोपराइटर का नाम बुरा है. अब ऐसे में अखिलेश यादव के द्वारा किया गया ट्वीट में सच्चाई नजर आती है कि ऐसे नाम की दुकान से क्या पता चलेगा.

 

सपा सांसद ने जताई आपत्ति

वह इस मामले पर मुजफ्फरनगर के सांसद हरेंद्र मलिक का भी बयान सामने आया है उन्होंने इस तरह के फरमान पर आपत्ति जाहिर की है. सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने कहा है कि दुकानों पर बड़े-बड़े शब्दों में शाकाहारी या मांसाहारी लिखा जा सकता था, इसके अलावा भी बहुत तरीके थे. मगर सही तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया गया. डायरेक्ट हिट करना ठीक नहीं है, इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ता है.

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