दिल्ली बाढ़:पुराने लोहे के पुल से रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद, हाई अलर्ट
न्यूज़ ऑनलाइन एसएम
सचिन मीणा
नई दिल्ली
यमुना का जलस्तर बढ़ने के चलते लोहे के पुल को रेलगाड़ियों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है। इससे दिल्ली-शाहदरा रूट पर फिलहाल रेलगाड़ियों का परिचालन बंद हो गया है।
अब पुरानी दिल्ली से रेलगाड़ियों को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के रास्ते चलाया जाएगा। यमुना के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सभी संबंधित विभागों को हाई अलर्ट पर कर दिया है। बाढ़ एवं सिंचाई विभाग मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि टीमें अलग-अलग इलाके में नजर बनाएं हुए है। उन्होंने रविवार को दिल्ली में बाढ़ की आशंका को देखते हुए बाढ़ की तैयारियों को लेकर जाएजा लिया। वह वजीराबाद जल शोधन संयंत्र भी गए, जहां पिछली बार यमुना में बाढ़ के बाद पानी भरने से बंद हो गया था। हालांकि दावा है कि इस बार पानी बढ़ा तो पानी नहीं भरेगा।
दौरे के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए सौरभ भारद्वाज ने बताया कि एक बार फिर से यमुना का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है। हथिनी कुंड बैराज से लगातार 2 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके चलते जलस्तर बढ़ा है। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। उन इलाकों में भी नजर रखी जा रही है जहां पिछली बार पानी भर गया था।
पिछली बार जो इलाके बाढ़ में डूब गए थे उनकी निगरानी के लिए कुल 60 टीमें इसके लिए लगाई गई हैं। पिछली बार यमुना का जलस्तर 208 मीटर के ऊपर तक गया था, जिसके कारण वजीराबाद, ओखला, और चंद्रावल जल शोधन संयंत्र बंद हो गए थे। पिछली बार की परेशानियों से सबक लेते हुए इस बार दिल्ली सरकार ने काफी तैयारियां की हैं। जल शोधन संयंत्रों के आसपास की सभी दीवारों को ऊंचा कर दिया गया है, ताकि इस बार पानी प्लांट में ना दाखिल होने पाए। दावा किया जा रहा है कि यदि यमुना का जलस्तर 209 मीटर तक भी हो जाए तो भी प्लांट में पानी नहीं दाखिल होगा।
इस बीच मौसम विज्ञान विभाग ने 25 जुलाई तक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी से ज्यादा भारी बारिश का पूर्वानुमान जताया है। CWC के आंकड़ों के मुताबिक, यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज में जल प्रवाह की दर 1.5 लाख क्यूसेक से दो लाख क्यूसेक के बीच है। ‘साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल’ के सहायक समन्वयक भीम सिंह रावत कहते हैं कि इतनी भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से दिल्ली में मध्यम दर्जे की बाढ़ का जोखिम पैदा होता है। यदि दिल्ली में दूसरी बार बाढ़ आती है तो इसके ज्यादातर मैदानी हिस्सों तक फैलने का खतरा है।