मानव हित के लिए ड्रग एवं मैजिक रेमेडी एक्ट 1954 को किया जाए रद्द : डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी

न्यूज ऑनलाइन एमएम
सचिन मीणा
नई दिल्ली।

आज़ादी के नायक, चंद्रशेखर आजाद एवं बाल गंगाधर तिलक की जयंती के अवसर पर, एलटीजी ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में रविवार को एक ऐतिहासिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ, जहां डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी (बीआरसी) के क्रांतिकारी आविष्कार, ग्रैड सिस्टम की मदद से कैंसर, थैलेसीमिया, किडनी-लिवर फेल, डायबिटीज़ टाईप-1 तथा ब्रेन टयूमर जैसे असाध्य रोगों से उबर चुके 36 मरीजों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बिना दवा या साइड इफेक्ट के सरल और किफायती भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से स्वस्थ होने के प्रमाण प्रस्तुत किए। इस मौके पर, डॉ. चौधरी की किताब “फिश टैंक मॉडल फॉर हार्ट केयर” भी लॉन्च की गई।
आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा समर्थित, गुरुत्वाकर्षण व तापमान पर आधारित ग्रैड सिस्टम की मदद से 75 प्रतिशत तक किडनी रोगी ठीक हो रहे हैं। पहली बार किडनी रोगियों को ग्रैड की मदद से डायलिसिस से मुक्ति मिल रही है।
डॉ. चौधरी के आविष्कार से कैंसर, क्रोनिक किडनी डिजीज, डायबिटीज जैसी कई गंभीर लाइलाज बीमारियों को रिवर्स करने में सफलता मिली है। उन्होंने आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा जैसी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के उत्थान के लिए भारत सरकार से ड्रग एवं मैजिक रेमेडी एक्ट 1954 को रद्द करने की मांग की और कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को खत्म करने और एलोपैथी को स्थापित करने के लिए, अंग्रेजों ने इस काले कानून की शुरुआत की थी। इसकी आड़ में आज भी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के प्रसारकों को कानूनी कार्रवाई का भय दिखाया जाता है। ग्रैड सिस्टम से ठीक होने वाले मरीजों में बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीजी कोल्से, और उत्तर प्रदेश के विधायक अनिल शर्मा प्रमुख थे। सम्मानित अतिथि के रूप में मौजूद, नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक डॉ. राम आधार यादव ने अपने संबोधन में ग्रैड सिस्टम के बारे में अपने अनुभव साझा किए। वह नेपाल में इस सिस्टम को लागू कराने के लिए प्रयासरत हैं।
डॉ. रामआधार यादव राष्‍ट्रीय आयुर्वेद अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, नेपाल के कार्यकारी निदेशक भी हैं। उन्‍होंने नेपाल के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा, डॉ. बिस्‍वरूप रॉय चौधरी द्वारा तैयार किए गए डीआईपी आहार पर, किए गए रेन्‍डमाइज्‍ड कंट्रोल ट्रायल के परिणाम लोगों के समक्ष प्रस्‍तुत किए। मंत्रालय ने परीक्षण में पाया कि डीआईपी आहार द्वारा डायबिटीज का उपचार किया जा सकता है। इस अवसर पर, श्रीधर यूनिवर्सिटी, पिलानी, राजस्थान, के प्रो-वाइस चांसलर डॉ. ओम प्रकाश गुप्ता ने डॉ. चौधरी के आविष्कारों पर आधारित, सर्केडियन क्लॉक एवं आयुर्वेदिक पंचकर्म में प्रोफेशनल सर्टिफिकेशन कोर्स लॉन्च किया। तीन माह के ऑनलाइन कोर्स की सप्‍ताहांत कक्षाएं सात दिन के व्‍यावहारिक प्रशिक्षण के साथ दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज, जालंधर में लगेंगी, जबकि हिम्स के दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, लखनऊ व जयपुर केंद्रों में इसकी एप्रेंटिसशिप कराई जाएगी। यह कोर्स आधुनिक लाइफ स्टाइल से उपजी बीमारियों को दूर करने में उपयोगी होगा।

डॉ. चौधरी ने कहा, ”हम लोगों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति की दवाइयों के दुष्प्रभावों, महंगी दवाओं व अंग प्रत्यारोपण के बिना, सिर्फ लाइफ स्टाइल में परिवर्तन, आयुर्वेदिक पंचकर्म, सर्केडियन क्‍लॉक को ठीक करके, जीरो वोल्‍ट थरेपी व डीआईपी आहार के माध्यम से नया जीवन प्रदान करने में सफल हुए हैं।”कार्यक्रम में गुर्दा रोगियों ने बताया कि कैसे उन्हें डाइलिसिस से मुक्ति मिल गई, कैसे थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को अब बार-बार रक्त नहीं चढ़ाना पड़ता है, कैसे डायबिटीज टाइप-1 से पीड़ित बच्‍चों को इंसुलिन से मुक्ति मिल गई है और कैसे लास्ट स्टेज कैंसर के कुछ मरीज अब स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। यह सब संभव हुआ आहार व जीवनशैली में परिवर्तन तथा डॉ. चौधरी के लोकप्रिय आविष्कार की मदद से। ग्रैड सिस्टम में किडनी रोगी को 3 माह तक प्रतिदिन 2 घंटे 40 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले पानी में बैठाया जाता है, जिससे त्वचा तीसरी किडनी जैसा व्यवहार करने लगती है। मरीजों को डीआईपी डाइट दी जाती है और उनकी निगरानी ग्रैड ऐप द्वारा की जाती है। गत दो वर्षों में, इस प्रकृति आधारित एप्रोच ने 1000 से अधिक मरीजों को डायलिसिस और इंसुलिन पर निर्भरता से मुक्त किया है।
कार्यक्रम के दौरान, डॉ. बिस्‍वरूप ने गरीब लोगों के लिए हिम्‍स, जालंधर (दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज, जालंधर द्वारा संचालित) में मुफ्त स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की भी घोषणा की। उनकी अन्‍य धर्मार्थ सेवाओं में एचआईवी, थैलेसीमिया, एसएमए और कोविड/इन्‍फ्लुएंजा रोगियों के लिए मुफ्त सेवाएं शामिल हैं। श्रीधर यूनिवर्सिटी, पिलानी ने इंजीनियरिंग ग्रेजुएट व डायबिटीज में पोस्ट ग्रेजुएट, डॉ. चौधरी को डायबिटीज व क्रोनिक किडनी डिजीज में उल्लेखनीय कार्य के लिए मानद पीएचडी प्रदान की है। 25 किताबों के लेखक, डॉ. चौधरी 21 हिम्स अस्पताल संचालित कर रहे हैं, जिनमें से एक मलेशिया में है। कार्यक्रम में हिम्स ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक आचार्य मनीष भी उपस्थित थे।

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