क्यों हो रहा है सड़क हादसों पर नए कानून का विरोध

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Sachin Meena

नए कानून के खिलाफ भारत के कई शहरों में बस, ट्रक और टैंकर चालाक हड़ताल पर चले गए हैं. उनकी मांग कानून को नरम बनाने की है. आखिर किन हालात में अपना काम करते हैं ट्रक चालाक?बस, ट्रक और टैंकर चालकों की हड़ताल दो दिनों से देश के कई राज्यों में चल रही है.

बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि कई राज्यों में ट्रक चालक राज्यमार्ग पर ही ट्रकों को रोक कर विरोध कर रहे हैं.

कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारी चालकों ने आम वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए नाकेबंदी भी की है. कई राज्यों से आम लोगों को हुई असुविधा की खबरें भी आ रही हैं. बसें न चलने से लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में परेशानी हो रही है.

ट्रक न चलने से पेट्रोल और अन्य जरूरी सामान का परिवहन नहीं हो पा रहा है. कुछ शहरों में पेट्रोल पम्पों पर पेट्रोल की कमी हो गई है और कई जगह कमी की आशंका से पेट्रोल लेने वाले आम लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं.

क्या कहता है नया कानून

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत अगर कोई चालाक किसी गंभीर सड़क हादसे के बाद बिना पुलिस या प्रशासन को सूचित किए बिना वहां से भाग जाता है तो उसे 10 साल तक की जेल या सात लाख रुपये जुर्माने की सजा हो सकती है.

मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि सभी व्यावसायिक वाहनों के चालक इस प्रावधान से नाराज हैं और इसका विरोध कर रहे हैं. चालकों के कुछ संगठनों का कहना है कि वो कानून बनाते समय सरकार द्वारा उनसे चर्चा ना करने को लेकर नाराज हैं.

ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने ‘एक्स’ पर लिखा, “अगर किसी ट्रक का एक्सिडेंट हो जाए जिसमें ट्रक के चालक की कोई गलती न हो और उसके बाद अगर भीड़ चालक पर हमला कर दे, तो ऐसे में चालक को भारतीय न्याय संहिता की चिंता करनी चाहिए या खुद को बचाना चाहिए.”

हादसे के बाद वाहन चालक के घटनास्थल से भाग जाने की खबरें आती रहती हैं. साथ ही कई बार हादसे के बाद भीड़ द्वारा चालक के साथ मार पीट की भी कई घटनाएं सामने आई हैं.

ट्रक चालकों के हालात

चालकों के एक संगठन ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि विरोध की घोषणा उनके संगठन के सदस्यों ने ही की थी. कपूर का कहना है कि उनकी सरकार से एक ही मांग है कि इस फैसले को संगठन के सदस्यों से सलाह करने के बाद लिया जाना चाहिए था.

हालांकि कई जानकारी इस बात पर भी ध्यान दिला रहे हैं, कि भारत में ट्रक चालकों का जीवन मुश्किलों भरा होता है. खराब सड़कों पर पुराने ट्रकों की सीटों पर बैठे वो हफ्तों तक, कई बार महीनों तक सामान देश के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंचाने के लिए ट्रक चलाते रहते हैं.

इस दौरान वे अपने लिए न अवकाश ले पाते हैं और न अपने परिवार वालों से मिल पाते हैं. चालकों के एक और संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की यातायात समिति के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने पीटीआई को दिए एक बयान में इन्हीं हालात की तरफ इशारा किया.

उन्होंने कहा कि दूसरे देशों की तरह हिट एंड रन मामलों के लिए कड़े कानून लाने से पहले सरकार को दूसरे देशों की तरह सड़क और यातायात प्रणालियों को सुधारने को भी प्राथमिकता देनी चाहिए.

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