सुप्रीम कोर्ट ने Google को दिया निर्देश

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Sachin Meena

वैसे तो गूगल मैप्स में कई उपयोगी फीचर्स हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गूगल लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी (एलएलसी) को गूगल मैप्स में दिए गए एक खास फीचर के बारे में बताने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट से मिले निर्देश के बाद अब गूगल लिमिटेड लिबर्टी कंपनी को यह बताना होगा कि गूगल मैप्स में दिया गया पिन लोकेशन शेयरिंग फीचर कैसे काम करता है।आपको याद दिला दें कि कुछ महीने पहले जब सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई हो रही थी तो आरोपी व्यक्ति पर जमानत के लिए लोकेशन शेयरिंग सर्विस के जरिए अपनी लोकेशन साझा करने की शर्त लगाई गई थी.

ऐसा इसलिए ताकि पता चल सके कि आरोपी जमानत के बाद कहां जा रहा है. लेकिन याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह शर्त निजता के अधिकार का उल्लंघन है.अब गूगल लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी (एलएलसी) को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के पीछे का उद्देश्य यह जांच करना है कि क्या यह गोपनीयता का उल्लंघन है जब किसी आरोपी व्यक्ति को जमानत की शर्त के रूप में ऐसे स्थान साझा करने के लिए मजबूर किया जाता है। अधिकारों का हनन होगा?सुप्रीम कोर्ट यह जांचना चाहता है कि क्या गूगल लोकेशन शेयर करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है या नहीं। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गूगल लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी (एलएलसी) से जवाब मांगा है.

Google Maps Pin: Google का अगला कदम क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद अब गूगल को इस मामले में जल्द से जल्द जवाब देना होगा. Google को बस मैप्स में उपलब्ध पिन लोकेशन सेवा की जटिलताओं को समझाने की जरूरत है और यह सुविधा कैसे काम करती है। जवाब तलाशने के पीछे का मकसद गूगल मैप्स पिन लोकेशन फीचर के तकनीकी पहलुओं को समझाना है।

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