AI और डीप फेक से बढ़ रहा साइबर क्राइम

News Online SM

Sachin Meena

अब ठग ज्‍यादा स्‍मार्ट और ठग विद्या ज्‍यादा एडवॉन्‍स्‍ड हो गई है। तकनीक ने ठगों के काम को बेहद आसान बना दिया है, जबकि दूसरी तरफ आम लोगों की चुनौती बढ़ गई है।

तकनीक का इस्‍तेमाल करते हुए उन्‍हें हर पल सतर्क रहना जरूरी हो गया है, क्‍योंकि अब सच और झूठ में कोई फर्क नहीं रहा।

ठग की दुनिया की स्‍थिति यह है कि एआई और डीप फेक के दौर में इस ठग विद्या के आम आदमी ही नहीं, बल्‍कि डॉक्‍टर, एडव्‍होकेट और मीडियाकर्मी भी शिकार हो रहे हैं। इतना ही नहीं, दिल्‍ली, मुंबई, बैंगलोर और इंदौर जैसे शहरों में रहने वाले पढ़े-लिखे लोग फ्रॉड कॉल के झांसे में आ रहे हैं। इनके चक्‍कर में आकर लोग ने लाखों और यहां तक की करोडों रुपए ठगों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए हैं।

प्रोफेशनल और स्‍किल्‍ड ठगी : बता दें कि नए दौर में ठगी का काम करने वाले ज्‍यादा प्रोफेशनल और स्‍किल्‍ड हो गए हैं। इनका फेंका हुआ जाल भी इतना प्रोफेशनल और स्‍किल्‍ड होता है कि अच्‍छे से अच्‍छे स्‍मार्ट आदमी भी इसमें फंस जाता है और जिंदगीभर की कमाई फ्रॉड कॉलर के अकाउंट में ट्रांसफर कर देता है। हाल ही में कुछ ऐसे केस सामने आए हैं, जिनमें लोगों से लाखों से लेकर करोड़ों रुपए तक ठग लिए गए।

ऐसे शुरू होती है ठगी की कहानी…
सीबीआई- नॉरकोटिक्‍स के अफसर बन जाते हैं : अज्ञात नंबरों से कॉल करने वाले ठग अपना जाल बुनने के लिए सीबीआई और नॉरकोटिक्‍स के अफसर बन जाते हैं। वे लोगों को बताते हैं कि उनके नाम का फेडएक्‍स का एक कोरियर जब्‍त हुआ है, जिसमें कुछ दस्‍तावेज या ड्रग मिले हैं। इसकी जांच की जाना है, इसलिए आपको पुलिस में शिकायत करना होगी। इसके बाद स्‍टेट बाय स्‍टेप दस्‍तावेज की जांच, पुलिस में शिकायत और बैंक अकाउंट की डिटेल, बैंक बैलेंस की जानकारी ले लेते हैं। इसके बाद लोगों के बैंक में जमा पैसे के वैरिफिकेशन के लिए पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं। कई बार ठगी की कहानी यह कहकर शुरू होती है कि आपके आधार कार्ड का गलत इस्‍तेमाल हुआ है और आप मनी लॉन्‍ड्रिंग के केस में फंस गए हैं। इससे बचने के लिए आपको इस पूरी प्रोसेस से गुजरना होगा। इस दौरान वे पूरी तरह से पीडित को कॉल पर ट्रैप कर लेते हैं। जिसे मैराथन कॉल कहा जाता है

केस 01
डॉक्‍टर से ठगे 4 करोड़ 47 लाख : दिल्ली में एक 34 साल की महिला डॉक्टर से स्काइप कॉल के जरिए 4 करोड़ 47 लाख की ठगी कर ली गई। फ्रॉड ने ठगी का ऐसा जाल बुना कि डॉक्टर ने अपनी FD तक तुड़वा दी। डॉक्टर का नाम पूनम राजपूत है। डॉ पूनम को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को फेडएक्स कोरियर कंपनी का कर्मचारी बताया। उसने कहा- आपका पार्सल सीज हो गया है पूनम को बताया गया कि पैकेट के भीतर पासपोर्ट, बैंकिंग डॉक्यूमेंट्स, दो जोड़ी जूते, 140 ग्राम MDMA ड्रग्स और कपड़े हैं। डॉक्टर ने कहा कि उसे किसी कोरियर के बारे में नहीं पता। तो कॉलर ने उसे पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने को कहा। फिर कॉल किसी इंस्‍पेक्‍टर स्मिता पाटिल को ट्रांसफर कर दी गई। इंस्‍पेक्‍टर पाटिल ने सलाह दी कि ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा दें और स्‍काइप ऐप डाउनलोड करें।

आधार ID का गलत इस्तेमाल : कॉल पर कहा गया कि उनकी आधार ID का इस्‍तेमाल मुंबई में 23 बैंक खाते खोलने में हुआ है। मनी लॉन्ड्रिंग का शक है। फिर इंस्‍पेक्‍टर बनी महिला ने कहा कि डॉक्टर के खिलाफ कई अपराधों की जांच होगी और उसे गिरफ्तार करना पड़ेगा। डॉक्टर से पूछा गया कि सभी बैंक अकाउंट में कितना बैलेंस है, इसका स्क्रीनशॉट दे। एक-एक रुपए की जानकारी बताएं। कॉलर्स ने जो कहा वो घबराई डॉक्टर ने कर दिया। कॉल पर मौजूद ठगों ने सलाह दी कि जब्ती और वेरिफिकेशन के लिए FD तुड़वा दें। डॉक्‍टर ने 1.15 करोड़ की FD तुड़वाई दी। इसी तरह बाकी बैंक अकाउंट की जानकारी लेकर सारा पैसा करीब 4 करोड़ 47 लाख रुपए यह कहकर ट्रांसफर करवा लिए गए कि रकम वैध है या अवैध इस बात का वैरिफिकेशन कर के लौटा दी जाएगी। इस दौरान नारकोटिक्स और RBI अफसर से भी बात कराई गई। डॉ पूनम से कहा गया था कि किसी को इंवॉल्व न करे, अपने पति को भी नहीं, क्योंकि फिर उन्हें भी अपराध में सहयोगी माना जाएगा।

केस 02
CBI ने लड़की को 36 घंटे तक बिना कपड़ों के बैठाए रखा
बेंगलुरु में साइबर बदमाशों ने एक निजी फर्म के साथ काम करने वाली एक वकील को नार्को टेस्ट के नाम पर वीडियो कॉल में कपड़े उतरवा दिए। महिला को 36 घंटे तक एक ही कॉल पर उलझाए रखा। साथ ही उसे बिना कपड़ों के रिकॉर्ड किया और फिरौती के लिए उसे ब्लैकमेल किया। इसके आलावा साइबर ठगों ने रिकॉर्ड किए गए क्लिपिंग को डार्क वेब पर बेचने की धमकी दी।

मैराथन कॉल से हुई ठगी : युवती 29 साल की है। सारिका (बदला हुआ नाम) ने पुलिस को बताया कि जालसाजों ने उसे 3 अप्रैल की दोपहर 2.15 बजे से 5 अप्रैल की सुबह 1.15 बजे तक एक मैराथन कॉल में उलझाए रखा और उससे 15 लाख रुपए ऐंठ लिए। महिला ने कहा कि यह सब तब शुरू हुआ जब किसी ने उसे ‘फेडएक्स’ से होने का दावा करते हुए फोन किया। उसे बताया गया कि उसके नाम पर थाईलैंड भेजे गए पार्सल में 140 ग्राम MDM था। सारिका को स्काइप डाउनलोड करने और उसे अपनी चैट में जोड़ने के लिए कहा। उसने उससे कहा कि उसका आधार नंबर मानव तस्करी और ड्रग्स से जुड़ा है। कॉल को अभिषेक चौहान नाम के किसी व्यक्ति को ट्रांसफर किया गया था, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी होने का दावा किया। चौहान ने उसे बताया कि उसके खिलाफ मानव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और पहचान की चोरी का मामला है। उसने उसे बताया कि उसके बैंक के एक कर्मचारी ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए ग्राहकों के खातों का इस्तेमाल किया था। बाकी कॉल के दौरान, उसे अपना कैमरा चालू करने और अपनी स्क्रीन साझा करने के लिए कहा गया ताकि जब वह सोए तब भी वे देख सकें। 4 अप्रैल को चौहान ने उससे कहा कि उसे अपने लेनदेन को सत्यापित करने के लिए अपने सारे पैसे उनके खाते में स्थानांतरित करने होंगे। उसे पास के एक बैंक में जाने और एक खाते में 10.7 लाख रुपए ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। फिर उसे खुद को अपने घर में बंद करने और आगे के निर्देशों का इंतजार करने के लिए कहा गया। फिर उन्होंने उसके क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके लगभग 4 लाख का लेनदेन किया।

कैसे रहे अलर्ट?
अगर कोई अनजान शख्स आपके पास फोन करके आपके घर वालों की आवाज फोन पर सुनाता है तो उस पर विश्वास ना करें।
अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से आवाज बदलकर फर्जीवाड़ा किया जा सकता है।
इस तरह के फोन आने पर तुरंत अलर्ट हो जाए।
जिनकी में आवाज में पैसों की डिमांड हो रही है, उनसे तुरंत संपर्क करें।
बच्‍चों के किडनैपिंग या किसी प्रकरण में फंसने की बात पर तुरंत बच्‍चों से संपर्क कर उनकी लोकेशन लें।
किसी भी अनजान नंबर से कॉल पर बात ना करें। कॉल करने वाला साइबर फ्रॉड हो सकता है।
किसी भी कॉल पर लंबे वक्‍त के लिए बात न करें, फोन कट कर अपने परिचित या अनुभवी व्‍यक्‍ति को बताएं।
साइबर फ्रॉड की किसी भी स्थिति में आप 1930 पर कॉल कर सकते हैं।

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