संसार का चिंतन दुख और भगवान का स्मरण सुख देता है : डॉ. गीता राम त्रिपाठी


न्यूज ऑनलाइन एसएम
सचिन मीणा


नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के पश्चिमी विनोद नगर में स्थित श्री बद्रीनाथ मंदिर प्रांगण में आयोजित हो रही श्री रामकथा में व्यास पीठ पर विराजमान डॉ. गीता राम त्रिपाठी जी ने कहा कि जीवन का सर्वस्व सार कथा ही है। प्रति दिवस भगवान की कथा श्रवण- चिंतन करना चाहिए। भगवान के विरह का गीत सुख देता है और संसार का चिंतन हमें दुख देता है।

चित्त राम है और उसमें अनुरक्त हो कर ही कर्म करना चाहिए। दशरथ जीव आत्मा हैं। दश इंद्रियों से जो युक्त है, वही दशरथ है। दशरथ ने मोक्ष की कामना करी, सांसारिक पुत्र सुख नहीं देता है, जीवन भर सब में राम देखेंगे तो हमारा शरीर रूपी घर पावन हो जाता है। अयोध्या नाम का जो शरीर है, इसको इतना पावन बना दो कि कोई भी इस पर आक्रमण न कर सके, यह तभी होगा जब हम भाव से परमात्मा से जुड़ेंगे। दशरथ जी का प्राणांत हुआ। चारों बेटे नहीं हैं, पास में ब्यवहार में यह ठीक नहीं माना जाता। परमार्थ कहता है कि मृत्यु के समय कोई पास न हो केवल प्रभु चिंतन हो।

कौशल्या माने हमारे शरीर में दो कोश हैं, रक्त और स्वेत । अधिक रक्त कोशिकाओं से कैंसर हो जाता है। इन दोनों कोशिकाओं को ठीक रखना ही भगवान की स्मृति है।

संसार में हमारा क्या संबंध है,, यह पता होना चाहिए प्रकृति ने हमें सजाया, भगवान ने कृपा करी, इसलिए सभी के साथ मीठा बोलना चाहिए, सदा भगवान का स्मरण करना चाहिए, मन को प्रसन्न रखना चाहिए, मौन रहना चाहिए, अधिक नहीं बोलना चाहिए। गुरु और गाय का पूजन शारीरिक तप है। ब्रह्मचर्य का आजीवन पालन करते हुए अपनी स्वाभाविक कोमलता बनाये रखनी चाहिए। अयोध्या कांड की कथा राम जी के चरित्रों को श्रवण कर भक्तों ने सप्तम दिवस की कथा का आनंद लिया।

कथा के आयोजक भारत सरकार के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के निदेशक वीरेंद्र जुयाल ने कहा कि इस कथा के माध्यम से क्षेत्र में सद्भाव बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों का अपार स्नेह मिल रहा है।

वहीं कथा में पंडित दुर्गा प्रसाद नौटियाल, पंडित मुकेश गौड़, पंडित राज गोपाल भट्ट, पंडित पीतांबर पंत, पंडित सुनील नैथाणी, पंडित संतोष ईष्टवाल, बद्रीनाथ मंदिर समिति के प्रधान बी.एल ढौढियाल, भीम सिंह भंडारी, विजय प्रकाश जुयाल, उमेद सिंह नेगी, मोर सिंह रावत, अशोक काला, विनोद, हयात सिंह राणा, दीपक डंडरियाल, शैलेंद्र जैन, मनीष डंडरियाल, विनोद नौगाई, विजय प्रसाद भट्ट, तुंगेश्वर प्रसाद उनियाल, दिनेश उनियाल, हरीश कुमार, दीपक रावत,दीपा तिवारी, गायत्री जयडा, पर्मेश्वरी पांडेय सहित काफ़ी संख्या में लोग भी उपस्थित थे।

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